शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ एवं सक्रिय व्यक्ति समाज की उन्नति के सुदृढ़ आधार होते हैं। सबल एवं स्वस्थ समाज के अस्तित्व को बनाये रखने के उद्देश्य से आचार्य नरेन्द्र देव समिति 1935 की संस्तुतियों के आलोक में विद्यालयीय आयु वर्ग के बच्चों को मनोवैज्ञानिक सेवाएं सुलभ कराने हेतु जुलाई 1947 में मनोविज्ञानशाला, उ0प्र0, प्रयागराज की स्थापना की गयी तथा 1981 से राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद, उ0प्र0, लखनऊ की अधीनस्थ इकाई के रूप में मनोविज्ञान एवं निर्देशन विभाग (मनोविज्ञानशाला) उ0प्र0, प्रयागराज क्रियाशील है।
Read MoreDirector
Bureau Of Psychology U.P.
विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास हेतु उसके बौद्धिक स्तर, योग्यताओं, क्षमताओं, रूचियों, अभियोग्यता एवं व्यक्तित्व के अनुसार दिशा-निर्देश देने की आवश्यकता होती है। वैयक्तिक भिन्नता के कारण प्रत्येक विद्यार्थी अपनी-अपनी योग्यता एवं क्षमता में एक दूसरे से भिन्न होते हैं। मनोवैज्ञानिक परीक्षणों के माध्यम से बालक की विशिष्टताओं एवं विभिन्न योग्यताओं को परीक्षित कर उनके परिणामानुसार शिक्षण-अधिगम को प्रभावशाली बनाया जा सकता है। मनोवैज्ञानिक परीक्षणों के आधार पर विद्यार्थियों के शैक्षिक उन्नयन की दशा एवं दिशा निर्धारित कर विभिन्न कौशलों का विकास किया जा सकता है। किशोरावस्था में बालक-बालिकाओं का हार्मोनल परिवर्तन होने के कारण जहां अनेक संवेगात्मक समस्याओं का उन्हें सामना करना पड़ता है, वहीं विभिन्न शैक्षिक समस्या, समायोजन की समस्या का सामना तथा विषय वर्ग चयन/व्यवसाय चयन जैसे महत्वपूर्ण निर्णय लेने होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप वे निरन्तर तनाव, दबाव एवं अवसाद में रहते हैं। ऐसी स्थिति में उनकी समस्याओं के समाधान हेतु उन्हें प्रशिक्षित, अनुभवी एवं सुगम परामर्श सुलभ कराने के उद्देश्य से वेबसाइट के माध्यम से मनोविज्ञानशाला, उ0प्र0, प्रयागराज द्वारा ऑनलाइन काउन्सलिंग का एक यह लघु प्रयास है। मुझे आशा ही नहीं, अपितु पूर्ण विश्वास है कि ऑनलाइन परामर्श सेवा से अधिकाधिक व्यक्ति लाभान्वित हो सकेंगे तथा जीवन में आने वाली विषम परिस्थितियों से निश्चित रूप से बाहर निकलने में सक्षम हो सकेंगे। नवोदित युवा पीढ़ी तनाव मुक्त होकर देश की उन्नति में अपना सक्रिय योगदान कर सकेगी।
कोविड-19 के संक्रमण से उपजी वैश्विक आपदा के इस कठिन समय में आदरणीय प्रधानमंत्री....
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The outbreak of coronavirus disease 2019 (COVID-19) may be stressful for people...
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The outbreak of coronavirus disease 2019 (COVID-19) may be stressful for people. Fears and anxiety about a disease can be overwhelming and cause strong emotion in adults and children. Coping with stress will make you the people you care about and your community stronger.
Children and teens react in part on what they see from the adults around them. When parents and caregivers deal with the COVID-19calmly and confidently, they can provide the best support for their children.Parents can be more reassuring to others around them especially children, if they are better prepared.
Not all children and teens respond to stress in the same way.Some common changes to watch for include-
Archana Bhardwaj
Assistant Psychologist
Bureau of Psychology
(Manovigyanshala)U.P.
Prayagraj
कोविड-19 के संक्रमण से उपजी वैश्विक आपदा के इस कठिन समय में आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा सुरक्षात्मक दृष्टि से 21 दिन का राष्ट्रीय 'लॉकडाउन' घोषित कर 'सोशल डिस्टेंसिंग' बनाये रखने की अपील की गई है। वैश्विक स्वास्थ्य आपदा के इस दुरूह समय में समस्त भारतीय नागरिकों को देशहित में कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए निर्दिष्ट अनुदेशों का पालन करना चाहिए। निश्चित तौर पर पहली बार ऐसा हुआ है कि 'लॉकडाउन' की घोषणा सकारात्मक अर्थों में हुई है।हम सभी अपने घरों में राष्ट्रहित के लिए पाबंद हैं। हम सभी के लिए यह पहला ऐसा विलक्षण अनुभव है कि बाह्य गतिविधियों से कटकर सभी घर में रहने को मजबूर हैं, जिसके लिए हम पहले से अभ्यस्त नहीं रहे हैं। ऐसे में अकेलापन, अवसादग्रस्तता तथा विभिन्न तरह के मनोवैज्ञानिक दबावों में लोगों को जीना पड़ रहा है। स्त्री-पुरुष, बच्चे-बूढ़े, बीमार आदि सभी को अलग-अलग मनोभावों से गुज़रना पड़ रहा होगा। 'लॉकडाउन' के इस कठिन समय में हम अपने जीवन को कैसे सहज-सरल और आनंदमय बना सकें? इस संदर्भ में निम्नलिखित सुझाव विचारणीय हैं :
ऊषा चंद्रा
निदेशक
मनोविज्ञानशाला, उ०प्र०
प्रयागराज
शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ एवं सक्रिय व्यक्ति समाज की उन्नति के सुदृढ़ आधार होते हैं। सबल एवं स्वस्थ समाज के अस्तित्व को बनाये रखने के उद्देश्य से आचार्य नरेन्द्र देव समिति 1935 की संस्तुतियों के आलोक में विद्यालयीय आयु वर्ग के बच्चों को मनोवैज्ञानिक सेवाएं सुलभ कराने हेतु जुलाई 1947 में मनोविज्ञानशाला, उ0प्र0, प्रयागराज की स्थापना की गयी तथा 198...